दादी यह भी बताती कि जिस समय कोई चमार पुरुष मरे हुए जानवर का चमड़ा निकालना शुरू करता अचानक सैकड़ों की संख्या में वहां गिद्ध मंडराने लगते तथा दर्जनों कुत्ते आकर भौंकने लगते थे।
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मिसाल के तौर पर शरीर पर लगाये जाने वाले प्रसाधनों के लिए उनको पीड़ित करना या फिर बूचड़खाने में एक जानवर को दूसरे जानवर की आँखों के सामने बेदर्दी से मार देना, उसका चमड़ा निकालना, मुर्गों, सांप-नेवले की जानबूझकर ज़बरदस्ती लडाइयाँ करवाना-ऐसे खेलों पर शर्तें लगा पैसे ऐंठना, बन्दर-सांप-भालू के करतब दिखाना, तेल के लिए जीवित सांडे / छिपकली को उबलते पाने में जीवित डाल देना.